परमात्मा कब, किस द्वार से तुममें प्रवेश करेगा? Osho
अंगुलिमाल बुद्धत्व को उपलब्ध हुआ। कुछ सोचा भी न होगा, कभी कल्पना भी न की होगी, कभी सपना भी न देखा होगा। वाल्मीकि ने सोचा था? नहीं सोचा था। अचानक मिलना हो गया था नारद से। नारद को लूटना चाहता था वाल्मीकि। लेकिन नारद ने कहा, मुझे लूटे इसके पहले घर जाकर एक बात पूछ… अधिक पढ़ें परमात्मा कब, किस द्वार से तुममें प्रवेश करेगा? Osho