परमात्मा कब, किस द्वार से तुममें प्रवेश करेगा? Osho

अंगुलिमाल बुद्धत्व को उपलब्ध हुआ। कुछ सोचा भी न होगा, कभी कल्पना भी न की होगी, कभी सपना भी न देखा होगा। वाल्मीकि ने सोचा था? नहीं सोचा था। अचानक मिलना हो गया था नारद से। नारद को लूटना चाहता था वाल्मीकि। लेकिन नारद ने कहा, मुझे लूटे इसके पहले घर जाकर एक बात पूछ… अधिक पढ़ें परमात्मा कब, किस द्वार से तुममें प्रवेश करेगा? Osho

जो बांधता है उसी से मुक्ति भी हो सकती है Osho

एक बड़ी प्राचीन कथा है। एक सम्राट अपने वजीर पर नाराज हो गया। उसने उसे एक मीनार पर बंद करवा दिया। वहा से भागने का कोई उपाय न था। अगर वह कूदे भी तो प्राण निकल जाएं। बड़ी ऊंची मीनार थी। उसकी पत्नी बडी चिंतित थी, कैसे उसे बचाया जाए? वह एक फकीर के पास… अधिक पढ़ें जो बांधता है उसी से मुक्ति भी हो सकती है Osho

महाभारत में सब है। जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं। OSHO

🙏🏼 महाभारत की महामहिमा 🙏🏼 प्रश्न: #महाभारत को आपने बहुत-बहुत महिमा दी है, उसे जीवन का पूरा काव्य कहा है। तब क्या यह दावा सही है कि जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं है? उत्तर: पहली बात, दावा सही है। जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं है। महाभारत का… अधिक पढ़ें महाभारत में सब है। जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं। OSHO

एक पूर्णिमा की रात – बुद्ध पूर्णिमा स्पेशल

बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं * ऐसा हुआ कि बुद्ध एक वृक्ष के नीचे एक पूर्णिमा की रात ध्यान करते थे। शहर से कुछ युवक एक वेश्या को लेकर जंगल में आ गए हैं। नशे में धुत उन्होंने वेश्या को नग्न कर दिया है। वे हंसी-मजाक कर रहे हैं। वे अपनी क्रीड़ा में लीन हैं।… अधिक पढ़ें एक पूर्णिमा की रात – बुद्ध पूर्णिमा स्पेशल

मनोवैज्ञानिक संभोग आध्यात्मिक संभोग की तुलना में कुछ नहीं – ओशो

“यदि आप दूसरे को आप में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं तो बहुत आनंद होता है। जब दो प्रेमियों के शरीर एक-दूसरे में प्रवेश करते हैं तो एक शारीरिक संभोग होता है, जब दो दिमाग एक दूसरे में प्रवेश करते हैं तो एक मनोवैज्ञानिक संभोग होता है, और जब दो आत्माएं एक-दूसरे में प्रवेश… अधिक पढ़ें मनोवैज्ञानिक संभोग आध्यात्मिक संभोग की तुलना में कुछ नहीं – ओशो

शास्त्र लिखने वालों को असली हिरे जवाहरातों का पता ही नहीं था – ओशो

एक कहानी मैंने पढ़ी, तो मैं हैरान हुआ। उसमें कहा गया था : यह कोई अमीर का महल नहीं है जिसमें जगह न हो। यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है। जगह महलों में और झोपड़ों में नहीं होती, जगह हृदयों में होती है। अक्सर तुम पाओगे, गरीब कंजूस नहीं होता। कंजूस होने… अधिक पढ़ें शास्त्र लिखने वालों को असली हिरे जवाहरातों का पता ही नहीं था – ओशो

अहंकार बहरूपिया है पहचानो इसे 

मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी मरणशैय्या पर पड़ी थी। अंतिम क्षण में उसने आंख खोली और नसरुद्दीन से कहा कि नसरुद्दीन, अब जाते समय झूठ को क्यों साथ ले जाऊं, एक बात तुम से कह दूं और तुम से क्षमा भी मांग लूं, क्योंकि फिर मिलना होगा, नहीं होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर हमारे… अधिक पढ़ें अहंकार बहरूपिया है पहचानो इसे 

​ढोंगी और पाखंडी  साधुओं के संबंध में एक प्रश्न के जवाब में ओशो कहते हैं कि…

 *धर्म के नाम पर तुम्हारा शोषण करने वाले इन मुर्दों से छुटकारा कब पाओगे? इन लाशों को कब तक ढौओगे?* दूसरा प्रश्न: साधु—संतों को देखकर ही मुझे चिढ़ होती है और क्रोध भी आता है। मैं तो उनमें सिवाय पाखंड के और कुछ भी नहीं देखता हूं। पर आपने न मालूम क्या कर दिया है… अधिक पढ़ें ​ढोंगी और पाखंडी  साधुओं के संबंध में एक प्रश्न के जवाब में ओशो कहते हैं कि…

तुम कब तक गुलाम बने रहोगे?

गुरु का इतना ही अर्थ है, जो खुद पार हो गया, वही तुम्हें चेतायेगा। गुरु का अर्थ है: जो स्वयं जागा हुआ है, वह तुम्हारी नींद में उपयोगी होगा। तुम बार—बार सो जाओगे। नींद में बार—बार घड़ा सीधा हो जाएगा।… अधिक पढ़ें तुम कब तक गुलाम बने रहोगे?

गुरुपूर्णिमा विशेष – क्या गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य है ?

समस्त स्नेही और विद्द्वतजन को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें | क्या गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य है ? मार्गदर्शन अनिवार्य है, ऐसा हमें लगता है। लेकिन मार्गदर्शन सबीज हो सकता है और मार्गदर्शन निर्बीज हो सकता है। मार्गदर्शन ऐसा हो सकता है कि उससे सिर्फ तुम्हारे मन में विचार और कल्पनाएं और धारणाएं पकड़ जाएं।… अधिक पढ़ें गुरुपूर्णिमा विशेष – क्या गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य है ?