ओशो – जीवन और शक्ति :

  जो समाज युद्ध में डूबे और उबरे , वे ही समाज चांद पर भी अपने आदमी को उतार पाए हैं  हम नहीं उतार पाए हैं । शांतिवादी नहीं उतार पाया । और चांद आज नहीं कल , युद्ध में बड़ा कीमती हैं  । जिसके हाथ में चांद होगा , उसके हाथ में पृथ्वी होगी… अधिक पढ़ें ओशो – जीवन और शक्ति :

ओशो – बिन मांगे मोती मिले 

​*मांगो मत* सुना है मैंने, एक आदमी ने यह कहावत पढ़ ली कि परमात्मा आकांक्षाएं पूरी कर दे आदमियों की, तो आदमी बड़ी मुसीबत में पड़ जाएं। उसकी बड़ी कृपा है कि वह आपकी आकांक्षाएं पूरी नहीं करता। क्योंकि अज्ञान में की गई आकांक्षाएं खतरे में ही ले जा सकती हैं।  उस आदमी ने कहा,… अधिक पढ़ें ओशो – बिन मांगे मोती मिले 

ओशो – अंतिम उत्कर्ष की सम्भावना 

“भगवान श्री, कृष्ण ने गीता के अध्याय दस में अपने घोड़ों में उच्चैःश्रवा, हाथियों में ऐरावत, गौवों में कामधेनु, सर्पों में वासुकि, पशुओं में सिंह, पक्षियों में गरुड़, नदियों में गंगा, ऋतुओं में वसंत आदि बताया है। अर्थात अपने को सर्वश्रेष्ठ बताने का प्रयत्न किया है। तो क्या वे निकृष्ट वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करते?… अधिक पढ़ें ओशो – अंतिम उत्कर्ष की सम्भावना 

ओशो – कृष्ण अद्भुद अद्वेत हैं ।

कृष्ण सांवरे थे, ऐसा नहीं है। हमने इतना ही कहा है सांवरा कह कर, कि कृष्ण के सौंदर्य में बड़ी गहराई थी; जैसे गहरी नदी में होती है, जहां जल सांवरा हो जाता है। यह सौंदर्य देह का ही सौंदर्य नहीं था–यह हमारा मतलब है। खयाल मत लेना कि कृष्ण सांवले थे। रहे हों न… अधिक पढ़ें ओशो – कृष्ण अद्भुद अद्वेत हैं ।

ओशो – कृष्ण स्मृति 

कृष्ण कहते हैं, योग तो कर्म की कुशलता है। असल में जब जिंदगी अभिनय हो जाती है, तो दंश चला जाता है, पीड़ा चली जाती है, कांटा चला जाता है, फूल ही रह जाता है, जब अभिनय ही करना है तो क्रोध का किसलिए करना, पागल हैं? जब अभिनय ही करना है तो प्रेम का… अधिक पढ़ें ओशो – कृष्ण स्मृति 

ओशो – कृष्ण पूर्ण ब्रह्म 

​ महत्वपूर्ण व्यक्ति अपने समय के बहुत पहले पैदा हो जाता है । कृष्ण अपने समय के कम से कम पाँच हजार वर्ष पहले पैदा हुए । अतीत कृष्ण को समझने योग्य नहीं हो सका । शायद आनेवाले  भविष्य में कृष्ण को समझने में हम योग्य हो सकेंगे । जिसे हम समझने में योग्य नहीं… अधिक पढ़ें ओशो – कृष्ण पूर्ण ब्रह्म