🌼🌼🌼 गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई 🌼🌼🌼
गुरु का इतना ही अर्थ है, जो खुद पार हो गया, वही तुम्हें चेतायेगा। अगर दस लोग यात्रा पर गए हों, जंगल हो घना, खतरा हो, तो क्या करते हैं। यक हरते हैं कि पाली—पालजी से जागते हैं। नौ सा जो हैं, एक जागता है। क्योंकि खतरा आएगा तो जाग रहा है वही जगा सकेगा। तब उसकी नींद का वक्त आता है, तब वह दूसरे को जगा देता है: अब तुम जागो, अब मैं सो जाता हूं। एक तो जागता हुआ चाहिए, नहीं तो खतरा आएगा; पता ही नहीं चलेगा, नींद में ही सब घट जाएगा।
गुरु का अर्थ है: जो स्वयं जागा हुआ है, वह तुम्हारी नींद में उपयोगी होगा। तुम बार—बार सो जाओगे। नींद में बार—बार घड़ा सीधा हो जाएगा। बार—बार तुम भूलोगे। बार—बार तुम चुक जाओगे।
ऐसा हुआ, एक सूफी फकीर हुआ। उसका असली नाम किसी को पता नहीं, लेकिन जिस नाम से जाना जाता है, वह है नस्साज—खैर नमाज—फकीर था। एक वृक्ष के नीचे ध्यान कर रहा था—स्वस्थ! एक आदमी गुलाम की तलाश में निकला था। गुलाम खरीदना था और एक मजबूत गुलाम चाहिए था। इस आदमी को झाड़ के नीचे इतना स्वस्थ बैठा देखकर—और फकीर, फटे कपड़े—उसे लगा कि यह कोई भागा हुआ गुलाम है। किसी का गुलाम है, भाग गया है, यहां जंगल में छिप रहा है। आदमी मजबूत दिखता है, काम का है। उस आदमी ने जाकर पूछा कि क्या तुम भागे हुए गुलाम तो नहीं?
नस्साज ने आंखें खोली और कहा, तुम ठीक ही कहते हो। भागा हुआ हूं और गुलाम हूं। उसका मतलब था कि परमात्मा से भाग गया हूं, और वही तो मेरी गुलामी हो गई। वह आदमी प्रसिद्ध हुआ यही तो मुसीबत है, संसारी और फकीर की भाषा में कहीं मेल नहीं बैठता।
नस्साज ने कहा कि ठीक कहते हो, भागा हूं और गुलाम हूं। उस आदमी ने कहा, ठीक वक्त पर मिल गए, मैं भी एक गुलाम की तलाश में हूं। मैं तुम्हारा मालिक होने को तैयार हूं। मेरे पीछे आ जाओ। तुम्हें मालिक की खोज है? उस गुलाम ने कहा, बड़े गजब के आदमी हो! यही तो मेरी खोज है; मालिक को खोज रहा हूं।
वह आदमी उसे घर ले गया: और उसने कहा, मैं हुआ तुम्हारा मालिक, तुम हुए मेरे गुलाम! और जो काम मैं बताऊं, वह करो। उसने कहा, यही तो मैं चाहता था कि कोई बतानेवाला मिल जाए कि क्या करूं, क्या न करूं। अपने किए तो सब अनकिया हुआ जा रहा है। खुद कर—करके तो फंस गया हूं। तुम भले मिले।
थोड़ा शक उस आदमी को होना शुरू हुआ कि या तो यह आदमी पागल है और या फिर कहीं कुछ भूल—चूक हो रही है; कहीं भाषा का भेद है। पर उसने सोचा कि अपने को प्रयोजन भी क्या, वह आदमी राजी है, ठीक। और मुक्त मिल गया। बिना कुछ दिए—लिए! और आदमी तगड़ा स्वस्थ! उसने उससे काम लेना शुरू कर दिया। वह आदमी इतना भला पाया, उस संसारी आदमी ने, इस फकीर को, उसने इसका नाम खैर रख दिया। खैर यानी—अच्छा, भला। फिर उसने इसे—वह उसका खुद का काम था कपड़े बुनावाई का—उसने इसे कपड़ा बुनना सिखाया। तो उसका दूसरा नाम हो गया—नस्साज। नस्साज यानी कपड़ा बुननेवाला। खैर—नस्साज उसका नाम हो गया। दस साल बीत गए, उसने बड़ी सेवा की इस मालिक की। उसने इतनी सेवा की और इतना सम्मान दिया और इतना श्रम किया कि इस मालिक को भी चोट लगने लगी भीतर कि मैं बड़ा शोषण कर रहा हूं। एक पैसा मैंने इस आदमी पर खर्च नहीं किया है, जो इसकी वजह से बड़ी धन—दौलत आ गई है। और मैं शोषण कर रहा हूं। अब वक्त आ गया है कि मैं इस मुक्त कर दूं। तो उसने इसे बुलाया और कहा कि बहुत हो गया। तुम बड़े काम के साबित हुए, लेकिन मुझे मन में खटकता है कि मैं शोषण कर रहा हूं। उस खटकन को अब और ज्यादा नहीं सहा जा सकता। अब मैं तुम्हें मुक्त करता हूं। अब तुम अपने मालिक हुए।
नस्साज ने कहा, बड़ी कृपा कि तुमने मुझे मेरा मालिक बना दिया! और बहुत कुछ सीखने को मिला। तुम्हारे पास दास होने की कला सिखने को मिली। और अब परमात्मा से फासला नहीं है। क्योंकि गुलाम होना जब से मैंने जान लिया, अहंकार टूट गया। अहंकार टूटा कि गुलामी मिटनी शुरू हो गई। और देखो, तुम तक मुझे मुक्त किए दे रहो हो! मैं तो मुक्त हो गया, लेकिन अब तुम्हारे संबंध में क्या खयाल है? तुम कब तक गुलाम बने रहोगे?
🙏🙏🌼🌼 सुनो भाई साधो , # 8
💐💐💐💐💐💐 ओशो🌹🌹🌹🌹🌹
thank you oshoji
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लोगों को धर्मो से बचाने की कोशिश नादानी भरा काम है।असल में उनको इंसान बनाने की कोशिश की जानी चाहिए।ताके उनको इंसान नज़र आने लगे!
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वेद,शास्त्रों,पुराणों, गुरुवचनों ये तो केवल दिशामात्र का सूचन करते हैं,उसका परिचय,ज्ञान, तो केवल अपने अनुभव से ही होता है। अनुभव से ही शीघ्र उनके कहने का तात्पर्य समझने में आसानी होगी। विश्वास दृढ़ होता है, और क्या करें या क्या नहीं करें उसकी समझ का विस्तार होगा। सिर्फ स्थूल-विषयों से आसक्तियों की बुद्धिवाले पुरुष उसका परिज्ञान नहीं कर सकते हैं। सात्त्विक कर्म को आधार बनाकर कर जो लोग कर्म को निर्धारित कर, शास्त्रों और पुराणों और गुरु वचन में श्रद्धानिष्ठ रहकर कर्म करते हैं उन व्यक्तिओंको अनुभव के साथ सब तात्पर्य भी समझना आसान हो जाता है।🙏
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Sab te bhale hain moodh jinhe na vyape jagat gati.
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