ओशो – सकारत्मकता का महत्व 

*ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी!* एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः… अधिक पढ़ें ओशो – सकारत्मकता का महत्व 

ओशो – सभ्य समाज के लिये उपदेश !

स्त्री के छू लैने से भी अपवित्र–

आखिर ऐसी क्या बुराई है स्त्री में…… अधिक पढ़ें ओशो – सभ्य समाज के लिये उपदेश !

कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना – ओशो

*कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना* सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें– आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण– जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन… अधिक पढ़ें कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना – ओशो

मन का खेल

❤मन का खेल❤ मन के कुछ नियम हैं; मन के कुछ खेल हैं; उनमें एक नियम यह है कि जो चीज उपलब्ध हो जाए, मन उसे भूलने लगता है ! जो मिल जाए, उसकी विस्मृति होने लगती है। जो पास हो, उसे भूल जाने की संभावना बढ़ने लगती है ! मन उसकी तो याद करता… अधिक पढ़ें मन का खेल

Osho – शास्त्र सरल है

शास्त्र सरल है. बहुत पुरानी एक तार्किक गुत्थी है। एक आदमी अपने रास्ते से गुजर रहा है, एक ब्राह्मण। सीधा-सादा आदमी है। एक कसाई भागा हुआ आया है। वह अपनी गाय को खोज रहा है, जो उसके हाथ से छूटकर भाग गई है। वह उस आदमी से पूछता है, ब्राह्मण से कि यहां से एक… अधिक पढ़ें Osho – शास्त्र सरल है

ओशो – ग्रन्थियां क्या है ?

 यह शब्द समझने जैसा है। यह बुद्धों के मनोविज्ञान का बड़ा बहुमूल्य शब्द है। पश्चिम में अभी—अभी मनोविज्ञान ने इसके समानांतर शब्द गढ़ा है,   कांपलेक्स;उसका अर्थ भी ग्रंथि है।  लेकिन भारत में यह शब्द पांच हजार साल पुराना है। और जो लोग मुक्त हो गए हैं, उनको हमने कहा है निर्ग्रंथ,जिनकी ग्रंथि छट गई, जिनके… अधिक पढ़ें ओशो – ग्रन्थियां क्या है ?

Osho – केवल ध्यान की फ़िक्र करो !

​❤ एक शराबी ने चार दिन पहले मुझे कहा कि छूटती नहीं। मैंने कहा, तू फिक्र ही छोड़ दे। छोड़ना भी क्या है? शराब ही पीता है; किसी का खून तो नहीं पी रहा! वह थोड़ा चौंका। उसने कहा, लेकिन शराब बड़ी बुरी चीज है। मैंने कहा, रहने दे बुरी है। बुरी पर ज्यादा ध्यान… अधिक पढ़ें Osho – केवल ध्यान की फ़िक्र करो !

ओशो – परमात्मा का अनुभव ।

​लोग मुझसे पूछते हैं,  लोग सदा से पूछते रहे हैं कि यह कैसे  पता चलेगा कि ध्यान लग गया?  यह कैसे पक्का पता चलेगा कि परमात्मा मिल गया?  यह कैसे पक्का पता चलेगा कि समाधि है?  मैं उनसे कहता हूं कि तुम्हारी  खोपड़ी में कोई लट्ठ मार दे,  तब तुम्हें कैसे पक्का पता  चलता है… अधिक पढ़ें ओशो – परमात्मा का अनुभव ।

ओशो – भगवान को खोजने से पहले स्वयं को जान लो !

​खुद को जानने में ही वह जान लिया जाता है जो परमात्मा है एक संन्यासी सारी दुनिया की यात्रा करके भारत वापस लौटा था | एक छोटी सी रियासत में मेहमान हुआ |  उस रियासत के राजा ने जाकर संन्यासी को कहा :  स्वामी , एक प्रश्न बीस वर्षो से निरंतर पूछ रहा हूं |… अधिक पढ़ें ओशो – भगवान को खोजने से पहले स्वयं को जान लो !

ओशो – जीवन और शक्ति :

  जो समाज युद्ध में डूबे और उबरे , वे ही समाज चांद पर भी अपने आदमी को उतार पाए हैं  हम नहीं उतार पाए हैं । शांतिवादी नहीं उतार पाया । और चांद आज नहीं कल , युद्ध में बड़ा कीमती हैं  । जिसके हाथ में चांद होगा , उसके हाथ में पृथ्वी होगी… अधिक पढ़ें ओशो – जीवन और शक्ति :