Osho – सत्संग खतरनाक हो सकता है !

​हम एक दूसरे में बह रहे हैं जानें हम, न जानें हम वैज्ञानिक कहते हैं कि जब तुम किसी की तरफ बहुत प्रेम से देखते हो तो तुम्हारे भीतर से एक ऊर्जा उसकी तरफ बहती है। अब इस ऊर्जा को नापने के भी उपाय हैं। तुम्हारी तरफ से एक विशिष्ट ऊष्मा, गर्मी उसकी तरफ प्रवाहित… अधिक पढ़ें Osho – सत्संग खतरनाक हो सकता है !

Osho – प्रेम सदैव आनंदित है ।

​प्रेम क्या है…? ____________________ मैनें सुना है, एक बहुत पुराना वृक्ष था. आकाश में सम्राट की तरह उसके हाथ फैले हुए थे. उस पर फूल आते थे तो दूर-दूर से पक्षी सुगंध लेने आते. उस पर फल लगते थे तो तितलियाँ उड़तीं. उसकी छाया, उसके फैले हाथ, हवाओं में उसका वह खड़ा रूप आकाश में… अधिक पढ़ें Osho – प्रेम सदैव आनंदित है ।

ओशो – प्रेम देना सीखो 

​प्रेम सभी मांग रहे हैं ,देने वाला कोई नहीं  🌞 प्रेम शारीरिक नहीं है, इसका नाता कहीं विश्रांति से है, पिघलने से है, पूरा मिट जाने से है। उन पलों में यह मिट जाता है अत: निश्चित ही यह शारीरिक नहीं। तुम्हें अधिक प्रेम देना सीखना होगा। तुम्हे बस लेने का अनुभव है। तो पहला… अधिक पढ़ें ओशो – प्रेम देना सीखो 

ओशो – प्रेम परमात्मा का प्रकटिकरण है ।

​|| रैदास—आकाश में ध्रुवतारा || भारत का आकाश संतों के सितारों से भरा है। अनंत-अनंत सितारे है, यद्यपि ज्योति सबकी एक है। संत रैदास उन सब सितारों में ध्रुवतारा है। इसलिए कि शूद्र के घर में पैदा होकर भी काशी के पंडितों को भी मजबूर कर दिया स्वीकार करने को। महावीर का उल्लेख नहीं किया… अधिक पढ़ें ओशो – प्रेम परमात्मा का प्रकटिकरण है ।

ओशो – सागर में डुबो !

👆इतनी बार तुमने प्रेम किया और इतनी बार तुम लुटे हो कि अब डरने लगे हो, अब घबड़ाने लगे हो। मैं तुमसे कहता हूं, लेकिन तुम गलत जगह लुटे। लुटने की भी कला होती है। लुटने के भी ढंग होते हैं, शैली होती है। लुटने के भी ढंग होते हैं, शैली होती है। लुटने का… अधिक पढ़ें ओशो – सागर में डुबो !

Osho – स्त्री का प्रेम गहन है ।

​स्त्री वर्षों प्रेम कर सकती है बिना कामवासना की मांग किए। सच तो यह है कि जब स्त्री बहुत गहरा प्रेम करती है, तो उस बीच पुरुष की कामवासना की मांग उसको धक्का ही देती है, शॉक ही पहुंचाती है। उसे एकदम खयाल भी नहीं आता कि इतने गहरे प्रेम में और कामवासना कीमांग की… अधिक पढ़ें Osho – स्त्री का प्रेम गहन है ।

Osho – हमारा मन द्वंद्व है 

​ प्रेम***** सारा जीवन ही द्वंद्व है हमारा हम दो में ही जीते हैं प्रेम करते हैं किसी को; लेकिन जिसे प्रेम करते हैं, उसे ही घृणा भी करते हैं कहेंगे, कैसी बात कहता हूं मैं! लेकिन सारी मनुष्य-जाति का अनुभव यह है और अब तो मनसशास्त्री इस अनुभव को बहुत प्रगाढ़ रूप से स्वीकार… अधिक पढ़ें Osho – हमारा मन द्वंद्व है 

ओशो – मेरी आँखों से देखो 

💗💗💗 प्रेम का पागलपन क्या है? यह प्रेम की मस्ती क्या है? यह तुम कहां सीखोगे? किसी मस्त के पास बैठो। किसी पियक्कड़ के पास बैठो। यह जो चारों तरफ सौंदर्य की अनंत वर्षा हो रही है, यह तुम्हें दिखाई नहीं पड़ती। किन्हीं ऐसी आंखों के पास बैठो जिन्हें यह दिखाई पड़ती है। किन्हीं आंखों… अधिक पढ़ें ओशो – मेरी आँखों से देखो 

ओशो – प्रेम की पग ध्वनि 

💞  वही पुरुष, स्त्री के प्रेम के लिए राजी हो सकता है, जो अहंकार को छोड़ने को राजी हो।  यह पुरुष के लिए बहुत कठिन है। इसका एक ही उपाय है उसके लिए, ध्यान ; कि वह गहरे ध्यान में उतरे। तो मेरे देखने में ऐसा है  कि अगर पुरुष गहरे ध्यान में उतर जाए, … अधिक पढ़ें ओशो – प्रेम की पग ध्वनि 

ओशो – आप भी प्रेम कर सकते हैं।

​प्रेम तो बहुत लोगों ने किया है, लेकिन कभी फरहाद और मजनूं को पढ़ लेना उपयोगी है। हमारा प्रेम जल्दी चुक जाता है। पता ही नहीं चलता कब चुक गया। ठीक से याद भी नहीं कर सकते कि कभी था। सब रूखा-सूखा रह जाता है भीतर। नदी आने के पहले ही विदा हो जाती है… अधिक पढ़ें ओशो – आप भी प्रेम कर सकते हैं।