महाभारत में सब है। जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं। OSHO

🙏🏼 महाभारत की महामहिमा 🙏🏼 प्रश्न: #महाभारत को आपने बहुत-बहुत महिमा दी है, उसे जीवन का पूरा काव्य कहा है। तब क्या यह दावा सही है कि जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं है? उत्तर: पहली बात, दावा सही है। जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं है। महाभारत का… अधिक पढ़ें महाभारत में सब है। जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं। OSHO

मनोवैज्ञानिक संभोग आध्यात्मिक संभोग की तुलना में कुछ नहीं – ओशो

“यदि आप दूसरे को आप में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं तो बहुत आनंद होता है। जब दो प्रेमियों के शरीर एक-दूसरे में प्रवेश करते हैं तो एक शारीरिक संभोग होता है, जब दो दिमाग एक दूसरे में प्रवेश करते हैं तो एक मनोवैज्ञानिक संभोग होता है, और जब दो आत्माएं एक-दूसरे में प्रवेश… अधिक पढ़ें मनोवैज्ञानिक संभोग आध्यात्मिक संभोग की तुलना में कुछ नहीं – ओशो

शास्त्र लिखने वालों को असली हिरे जवाहरातों का पता ही नहीं था – ओशो

एक कहानी मैंने पढ़ी, तो मैं हैरान हुआ। उसमें कहा गया था : यह कोई अमीर का महल नहीं है जिसमें जगह न हो। यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है। जगह महलों में और झोपड़ों में नहीं होती, जगह हृदयों में होती है। अक्सर तुम पाओगे, गरीब कंजूस नहीं होता। कंजूस होने… अधिक पढ़ें शास्त्र लिखने वालों को असली हिरे जवाहरातों का पता ही नहीं था – ओशो

अहंकार बहरूपिया है पहचानो इसे 

मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी मरणशैय्या पर पड़ी थी। अंतिम क्षण में उसने आंख खोली और नसरुद्दीन से कहा कि नसरुद्दीन, अब जाते समय झूठ को क्यों साथ ले जाऊं, एक बात तुम से कह दूं और तुम से क्षमा भी मांग लूं, क्योंकि फिर मिलना होगा, नहीं होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर हमारे… अधिक पढ़ें अहंकार बहरूपिया है पहचानो इसे 

​ढोंगी और पाखंडी  साधुओं के संबंध में एक प्रश्न के जवाब में ओशो कहते हैं कि…

 *धर्म के नाम पर तुम्हारा शोषण करने वाले इन मुर्दों से छुटकारा कब पाओगे? इन लाशों को कब तक ढौओगे?* दूसरा प्रश्न: साधु—संतों को देखकर ही मुझे चिढ़ होती है और क्रोध भी आता है। मैं तो उनमें सिवाय पाखंड के और कुछ भी नहीं देखता हूं। पर आपने न मालूम क्या कर दिया है… अधिक पढ़ें ​ढोंगी और पाखंडी  साधुओं के संबंध में एक प्रश्न के जवाब में ओशो कहते हैं कि…

तुम कब तक गुलाम बने रहोगे?

गुरु का इतना ही अर्थ है, जो खुद पार हो गया, वही तुम्हें चेतायेगा। गुरु का अर्थ है: जो स्वयं जागा हुआ है, वह तुम्हारी नींद में उपयोगी होगा। तुम बार—बार सो जाओगे। नींद में बार—बार घड़ा सीधा हो जाएगा।… अधिक पढ़ें तुम कब तक गुलाम बने रहोगे?

गुरुपूर्णिमा विशेष – क्या गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य है ?

समस्त स्नेही और विद्द्वतजन को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनायें | क्या गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य है ? मार्गदर्शन अनिवार्य है, ऐसा हमें लगता है। लेकिन मार्गदर्शन सबीज हो सकता है और मार्गदर्शन निर्बीज हो सकता है। मार्गदर्शन ऐसा हो सकता है कि उससे सिर्फ तुम्हारे मन में विचार और कल्पनाएं और धारणाएं पकड़ जाएं।… अधिक पढ़ें गुरुपूर्णिमा विशेष – क्या गुरु का मार्गदर्शन अनिवार्य है ?

ओशो – सकारत्मकता का महत्व 

*ये कहानी आपके जीने की सोच बदल देगी!* एक दिन एक किसान का बैल कुएँ में गिर गया। वह बैल घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि बैल काफी बूढा हो चूका था अतः… अधिक पढ़ें ओशो – सकारत्मकता का महत्व 

कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना – ओशो

*कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना* सुबह उठते ही पहली बात, कल्पना करें कि तुम बहुत प्रसन्न हो। बिस्तर से प्रसन्न-चित्त उठें– आभा-मंडित, प्रफुल्लित, आशा-पूर्ण– जैसे कुछ समग्र, अनंत बहुमूल्य होने जा रहा हो। अपने बिस्तर से बहुत विधायक व आशा-पूर्ण चित्त से, कुछ ऐसे भाव से कि आज का यह दिन सामान्य दिन… अधिक पढ़ें कल्पना द्वारा नकारात्मक को सकारात्मक में बदलना – ओशो